आज का वीडियो शुरू करने से पहले मैं आपसे एक सवाल पूछता हूँ। क्या आपको याद है, जब भारत पर हमला हुआ था? पुलवामा जैसा दिल दहला देने वाला हमला? उस वक्त पूरा देश गुस्से में था, हर कोई बस एक ही बात सोच रहा था – बदला! लेकिन क्या हम जानते थे कि वो बदला सिर्फ अकेला हमारी सेना के कंधों पर नहीं था , बल्कि एक ऐसी टेक्नोलॉजी भी इसमें शामिल होगी जिसने पाकिस्तान की नींदें उड़ा दीं? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं उस ऑपरेशन की, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से जाना गया। ये सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, ये था भारत के बदले हुए मिजाज का ऐलान!
ये वही मिशन था जिसने दुनिया को दिखा दिया कि अब भारत चुपचाप बैठने वालों में से नहीं है। और इस मिशन में हमारे बहादुर जवानों के साथ था एक ऐसा ‘गुप्त हथियार’ जिसके बारे में जानकर दुश्मन के पसीने छूट गए। ये हथियार इतना घातक और स्मार्ट है कि इसने युद्ध लड़ने के तरीके को ही बदल दिया है। सोचिए, एक ऐसा हथियार जो दुश्मन को पता भी न चले और अपना काम करके वापस आ जाए, या फिर वहीं खुद को कुर्बान कर दे! आज हम उसी ‘अदृश्य’ और ‘आत्मघाती’ हथियार के बारे में बात करने वाले हैं, जिसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत को एक बड़ी जीत दिलाई।
इस हमले की सबसे खास बात क्या थी? भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर, उनके ठिकानों को निशाना बनाया। सिर्फ एक या दो नहीं, बल्कि पाकिस्तान के अंदर 4 और PoK में 5 ठिकानों को एक-एक करके तबाह कर डाला।
और सिर्फ ठिकाने ही नहीं… इसमें कई खूंखार आतंकवादी भी मौत के घाट उतार दिए गए।
दोस्तों, ये सिर्फ एक सैन्य ऑपरेशन नहीं था। ये भारत के ‘जज्बे’, उसकी ‘शक्ति’ और उसकी ‘सूझबूझ’ का एक ऐसा संगम था, जिसे देखकर पाकिस्तानी हुकूमत भी हिल गई।
लेकिन पाकिस्तानी हुकूमत को हिलाने वाली भारत का एक ‘हथियार’ ऐसी भी थी, जो हमारे राफेल, सुखोई और तेजस जैसे फाइटर जेट्स से भी आधे घंटे आगे चल रहा था !
सोचिए, फाइटर जेट्स से भी आगे! इसका क्या मतलब है? इसका मतलब ये है कि जब हमारे लड़ाकू विमान दुश्मन की सीमा में दाखिल होने वाले थे, उससे पहले ही ये ‘गुप्त हथियार’ रास्ता क्लियर कर रहा था। ये आधे घंटे पहले पहुँच जाता, देखता कि दुश्मन कहाँ है, रास्ते में कोई खतरा तो नहीं है, और अगर कोई मुश्किल होती, तो उस मुश्किल को खुद खत्म करके आगे बढ़ने का सिग्नल देता!
आख़िर क्या था ये रहस्यमय हथियार? इसका नाम है LMS ड्रोन।
LMS ड्रोन। ये कोई मामूली ड्रोन नहीं है। आसान भाषा में कहें तो, ये छोटे, सस्ते ड्रोन हैं जो झुंड में उड़ते हैं और दुश्मन के इलाके में मंडराते रहते हैं, सही मौका मिलते ही हमला कर देते हैं।
और सबसे बड़ी बात, भारत ने इस ड्रोन को सिर्फ बनाया ही नहीं, बल्कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इसे पूरी ताकत से इस्तेमाल भी किया।
और नतीजा? नतीजा वो था जो पूरी दुनिया ने देखा। ये पूरी दुनिया के लिए एक साफ संदेश था:
“अब भारत किसी भी कीमत पर चुप नहीं बैठेगा।”
ये LMS ड्रोन, जिन्हें ‘आत्मघाती ड्रोन’ भी कहा जाता है, एक बार हवा में उड़ गए, तो सीधा दुश्मन के ठिकानों का पीछा करते हैं।
इनके पास होती है हाई रेज़ोल्यूशन कैमरा, थर्मल इमेजिंग सिस्टम (यानी अँधेरे में भी साफ़ देखना), और GPS नेविगेशन।
मतलब ये कि ये ड्रोन अपने शिकार को खोजते हैं, पहचानते हैं, और फिर सीधे उस टारगेट को खत्म कर देते हैं।
और इनका काम अकेले नहीं होता। ये पूरे ‘झुंड’ में आते हैं, एक ‘स्वॉर्म’ की तरह।
सोचिए, एक साथ कई सारे ड्रोन अलग-अलग दिशाओं से दुश्मन के ठिकाने पर धावा बोल देते हैं।
ऐसे हमले से भला कौन बच सकता है? कोई नहीं बच सकता!
इनकी और भी कई खतरनाक खूबियां हैं। जैसे ये ड्रोन ‘स्टील्थ मोड’ में उड़ सकते हैं। इसका मतलब है कि दुश्मन के रेडार सिस्टम की पकड़ में ये आसानी से नहीं आते। वो इन्हें देख ही नहीं पाते।
साथ ही, इनमें ‘ऑटो रिटर्न’ फीचर भी होता है। यानी अगर किसी वजह से टारगेट नहीं मिला, तो ये वापस आ सकते हैं, या फिर किसी दूसरे टारगेट को चुन सकते हैं। ये इतने स्मार्ट हैं!
और कमाल की बात ये है कि इनमें से कुछ ड्रोन तो हवा में रहते हुए ही दुश्मन की रेडियो फ्रीक्वेंसी या कम्युनिकेशन सिग्नल्स को भी ‘जैम’ कर सकते हैं।
मतलब ये सिर्फ हमला ही नहीं करते, बल्कि दुश्मन के कम्युनिकेशन और कमांड सिस्टम्स को भी तोड़कर रख देते हैं।
अब ज़रा सोचिए। बॉर्डर पर जब दुश्मन घात लगाकर बैठा हो या घुसपैठ की कोशिश हो रही हो, तो क्या होता है? पहले हमें जानकारी मिलती है, फिर हमारी सेना एक्शन लेती है। इसमें समय लगता है, और हमारे जवानों की जान का खतरा होता है। लेकिन ऐसे में ये ड्रोन तुरंत लॉन्च किए जा सकते हैं।
ये हवा में उड़ते ही दुश्मन की बिल्कुल सटीक लोकेशन पता कर लेते हैं और उस पर सीधा वार करते हैं।
और इसकी सबसे बड़ी और सबसे अच्छी बात? ये सब बिना हमारे किसी भी सैनिक को खतरे में डाले होता है!
यही नहीं, कई रिपोर्ट्स के अनुसार ये ड्रोन आज के मुश्किल समय में, सियाचिन जैसे ऊंचे इलाकों में भी, निगरानी रखने (Surveillance) और टारगेट को ट्रैक करने में भारत की बहुत मदद कर रहे हैं।
यानी, ये केवल युद्ध लड़ने के लिए नहीं हैं, बल्कि बॉर्डर मैनेजमेंट का ‘फ्यूचर’ बन चुके हैं।
ये टेक्नोलॉजी इतनी घातक है कि दुश्मन का रेडार सिस्टम, उनके हथियार गोदाम, और यहाँ तक कि उनके कमांड सेंटर्स भी इसकी मार से नहीं बच सकते।
और सबसे बड़ी बात? ये ड्रोन ‘मेड इन इंडिया’ हैं!
इन्हें DRDO और एक प्राइवेट इंडियन कंपनी, NewSpace Research & Technologies, ने मिलकर बनाया है। मतलब, ये बने हैं भारत में, और किसलिए? ‘मेड फॉर डिस्ट्रक्शन’ – यानी तबाही मचाने के लिए!
अब आप ये भी जान लीजिए कि इनकी कीमत पारंपरिक मिसाइलों के मुकाबले बहुत ही कम है, लेकिन इनका असर? कई गुना ज़्यादा घातक!
जैसे हारपून मिसाइल, जो लगभग 488 पाउंड (करीब 221 किलो) के वॉरहेड के साथ आती है, उसकी तुलना में ये ड्रोन ज़्यादा स्मार्ट हैं, सस्ते हैं, और जानलेवा हैं।
और कुछ मॉडलों में तो AI (यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मशीन लर्निंग भी लगी है। यानी, ये अपने आप निर्णय ले सकते हैं, टारगेट लॉक कर सकते हैं, और हमला कर सकते हैं।
सब कुछ खुद कर सकते हैं!
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हमारी एक और एजेंसी, NTRO (National Technical Research Organisation) ने भी इन ड्रोन को लाइव डेटा दिया।
जिससे दुश्मन के हर हरकत पर बारीकी से नज़र रखी गई। और फिर, एक-एक करके, उन आतंकी अड्डों को साफ कर दिया गया।
LMS ड्रोन का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है। पहली बार 1980 के दशक में, जब दुश्मन की एयर डिफेंस को खत्म करने की बात आई, तब ये सामने आए।
90 के दशक में इनका इस्तेमाल और भी तेज़ हुआ। और फिर, 2000 के दशक में तो इन्होंने ‘बैटलफील्ड’ में क्रांति ला दी।
आज ये ड्रोन लंबी दूरी से भी हमला कर सकते हैं। और इनका आकार इतना छोटा है कि ये कहीं भी फिट हो सकते हैं।
बस लॉन्च करो, और दुश्मन को साफ कर दो!
यही है आज का भारत। अब हम सिर्फ सहने वाले नहीं, सीधे ‘मारने वाले’ बन चुके हैं।
और जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी कार्यवाहियां होती हैं , तो दिल से एक ही आवाज़ आती है:
“शाबाश भारत! यही है तेरी असली ताकत!”
अगर आप भी इस गर्व से भरे हैं, तो नीचे कमेंट्स में “जय हिन्द” लिखना बिल्कुल मत भूलिएगा!
और इस वीडियो को इतना शेयर करो, कि पाकिस्तान को हर कोने से सिर्फ एक आवाज सुनाई दे
“भारत अब बदल चुका है!”
जय हिन्द!