पाकिस्तान का पानी बंद! अब भूख और प्यास से मरेगा दुश्मन?
1960 का सिंधु जल समझौता, भारत ने निभाया, पाकिस्तान ने तोड़ा। आतंक के जवाब में भारत ने रोका नदियों का पानी!
खेती बर्बाद, बिजली गुल, पूरा पाकिस्तान सूखे की चपेट में!
ये है नया भारत! गोली नहीं, पानी से भी दे सकते हैं जवाब!
क्या आपको याद है, कुछ ही समय पहले कश्मीर के पहलगाम में हमारे बेगुनाह, मासूम नागरिकों पर आतंकियों ने बेरहमी से हमला किया था? वो हमला जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। वो पाकिस्तानी आतंकवादी, जिनकी कायराना हरकत ने हमारे कई भाई-बहनों की जान ले ली।
लेकिन इस बार भारत चुप नहीं बैठा। इस बार की चोट ऐसी है, जो गोली या बम से नहीं, बल्कि पानी से लगी है। जी हाँ, भारत ने पाकिस्तान पर ‘वॉटर अटैक’ कर दिया है! कोई मामूली कदम नहीं है, बल्कि एक ऐसा ‘मास्टर स्ट्रोक’ है जिसने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है।
आप सोच रहे होंगे, पानी से कैसे कोई देश बर्बाद हो सकता है? पाकिस्तान तो पानी के लिए तरसने लगा है। वहाँ के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की तो नींद उड़ गई है, पाकिस्तानी सेना के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई है।
इस कहानी को समझने के लिए हमें थोड़ा इतिहास में जाना होगा। बात है 1947 की, जब हमारा प्यारा भारत आज़ाद हुआ था। लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना की ज़िद ने देश को दो टुकड़ों में बाँट दिया। बंटवारे में लाखों लोगों ने अपनी जान गँवाई। उसी समय भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ – नदियों के पानी का बंटवारा।
सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियाँ – झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज। इनमें से कई नदियाँ भारत से निकलकर पाकिस्तान में जाती थीं। पाकिस्तान की ज़्यादातर खेती, उसके शहरों की पानी की ज़रूरत, सब कुछ इन्हीं नदियों पर निर्भर था।
अगर भारत चाहता, तो इन नदियों का पानी रोक कर पाकिस्तान में भयानक सूखा ला सकता था। इतना भयानक कि करोड़ों लोग प्यास से मर जाते और पाकिस्तान का 70% हिस्सा रेगिस्तान बन जाता। लेकिन उस वक़्त भारत का दिल बड़ा था। हमारे नेताओं ने इंसानियत और पड़ोस धर्म को चुना।
मोहम्मद अली जिन्ना ने तो यहाँ तक कह दिया था कि “हम रेगिस्तान में तड़पकर मर जाएँगे, लेकिन हम हिंदुओं से मिले पानी के भरोसे नहीं रहेंगे।” लेकिन हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि सिंधु घाटी में इतना पानी है जो दोनों देशों की ज़रूरतें पूरी कर सकता है।
तभी वर्ल्ड बैंक ने बीच-बचाव किया। साल था 1960, 9 सितंबर को भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) पर हस्ताक्षर किए। ये समझौता भारत की तरफ से पाकिस्तान के लिए दोस्ती का हाथ था, एक बड़ा एहसान था। पंडित नेहरू कश्मीर में शांति चाहते थे और इसीलिए उन्होंने ये कदम उठाया।
लेकिन ये भारत की तरफ से उठाया गया एक ऐसा कदम था, जिसने पाकिस्तान को बहुत बड़ा फायदा पहुँचाया। इस संधि में भारत ने पाकिस्तान को सिंधु नदी के पानी का 76% हिस्सा देने की बात रखी, जबकि भारत को सिर्फ 13% मिला। ध्यान दीजिए, इस समझौते की कमान भारत के हाथ में थी, क्योंकि ये सारी नदियाँ भारत से ही होकर गुज़रती थीं। भारत चाहता तो पाकिस्तान को पानी के लिए तरसा सकता था।
लेकिन सबसे बड़ी गड़बड़ी सिर्फ पानी के बंटवारे में नहीं थी, बल्कि इसमें भारत को अपने हिस्से की नदियों पर भी बाँध बनाने की अनुमति नहीं थी। सोचिए, पानी आपके घर से निकले और उस पर अधिकार किसी और को दे दिया जाए, और आप उसे अपनी ज़रूरत के लिए भी पूरा इस्तेमाल न कर सकें!
ये तो साफ-साफ दिख रहा था कि इस समझौते में कुछ नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली थी। ये समझौता सिर्फ पाकिस्तान के फायदे के लिए था। फिर भी भारत ने दोस्ती और शांति के नाम पर ये समझौता दशकों तक निभाया।
लेकिन इतिहास गवाह है, पाकिस्तान ने इस दोस्ती का हर बार गलत फायदा उठाया। बदले में भारत को मिला सिर्फ आतंकवाद, घुसपैठ और साज़िशें। पिछले 70 सालों में पाकिस्तान ने भारत की पीठ में छुरा घोंपने का कोई मौका नहीं छोड़ा।
और अब, जब पहलगाम में फिर से मासूम भारतीयों की हत्या हुई, तो भारत ने वो कर दिखाया जो अब तक सिर्फ सोचा जाता था। जी हाँ, भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को एक तरह से खत्म कर दिया है। और सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी को रोकना शुरू कर दिया है।
कहा जा रहा है कि ये दुनिया के इतिहास की सबसे बड़ी ‘वॉटर स्ट्राइक’ है। इसके सामने आवाज़ उठाने की हिम्मत अब न तो वर्ल्ड बैंक में है, न यूनाइटेड नेशंस में, और न ही अमेरिका के पास। क्योंकि पाकिस्तान ने अब हैवानियत की सारी हदें पार कर दी हैं।
और अब भारत जो भी एक्शन लेगा, दुनिया को बस बैठकर देखना होगा। भारत अब अपनी नदियों पर बाँध बनाएगा। पानी को रोककर अपने किसानों तक पहुँचाएगा। और उस हर बूँद का इस्तेमाल करेगा जिस पर हम भारतीयों का हक़ है।
यानी, पाकिस्तान के हिस्से का पानी अब या तो भारत में सिंचाई के काम आएगा, या फिर धीरे-धीरे रोक दिया जाएगा।
लेकिन इससे पाकिस्तान को क्या नुकसान होगा? ये वही नुकसान है जिसने शहबाज़ शरीफ की रातों की नींद उड़ा दी है।
भारत के इस कदम से पाकिस्तान सड़क पर आ जाएगा। जो इस वक़्त अनाज के लिए कटोरा लेकर दुनिया के पीछे घूम रहा है, वहीं अब पानी के लिए भी कटोरा लेकर बैठना पड़ेगा।
आधे से ज़्यादा देश में ब्लैकआउट हो जाएगा। पाकिस्तान की खेती, जो 90% सिंचाई पर निर्भर है, बर्बाद हो जाएगी। वहाँ के किसान बीज तो बो पाएंगे, पर फसल काट नहीं पाएंगे। गेहूं, गन्ना, कपास और चावल जैसी मुख्य फसलें बर्बाद हो जाएँगी। ये वही फसलें हैं जिनसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को थोड़ी बहुत ऑक्सीजन मिलती थी।
खेती के अलावा, पाकिस्तान की लगभग 30% हाइड्रो पावर इन्हीं नदियों पर निर्भर है। यानी, अगर इन नदियों में पानी की कमी आई, तो पाकिस्तान में पावर प्लांट्स ठप हो जाएँगे और देश भर में ब्लैकआउट शुरू हो जाएँगे। शहरों में अँधेरा, गाँव में अँधकार और इंडस्ट्रीज़ में बंदी।
ये कोई थ्योरी नहीं, बल्कि वो सच है जिसका डर आज पाकिस्तानी हुकूमत को सोने नहीं दे रहा है। कूटनीति के विशेषज्ञों की मानें, तो ये भारत की सर्जिकल स्ट्राइक से भी बड़ा मास्टर स्ट्रोक है।
जब फसलें नहीं होंगी, फैक्ट्रियाँ नहीं चलेंगी, बिजली नहीं होगी, तो आम जनता पर क्या बीतेगी? पहले ही पाकिस्तान अपने विदेशी कर्ज़ और महँगाई से जूझ रहा है। ऊपर से अगर पानी भी रुक गया, तो पूरा देश एक तरह से इकोनॉमिक इमरजेंसी में चला जाएगा।
न पीने को पानी, न खाने को अन्न। और इन हालात में पाकिस्तान को एक नहीं, सैकड़ों कटोरे लेकर दुनिया के सामने गिड़गिड़ाना पड़ेगा।
यानी साफ है, भारत ने बुलेट से नहीं, बूँद से वार किया है। और ये वार इतना सटीक है कि पाकिस्तान इसका जवाब किसी सर्जिकल स्ट्राइक या आतंकवादी हमले से नहीं दे सकता। यहाँ सिर्फ पानी नहीं रोका गया, बल्कि एक ऐसा संदेश दिया गया है कि अब जो आतंक का समर्थन करेगा, वो भूख और प्यास से मरेगा।
अब रही बात पहलगाम हमले की। हमला करने वाले आतंकवादियों की तो हमें भारतीय सेना पर पूरा भरोसा है कि अगर ये आतंकी अपने घर यानी पाकिस्तान भी भाग गए होंगे, तो हमारे जवान इन्हें घर में घुसकर मारेंगे। जिसकी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सामने आकर सरेआम चेतावनी दे दी है।
इस हमले के बाद दिल्ली में बैठकों का दौर शुरू हुआ। गृह मंत्रालय से लेकर रक्षा मंत्रालय तक, हर जगह एक ही बात थी – इन आतंकियों को छोड़ना नहीं है। उन्हें ढूंढ निकालना है, चाहे वो कहीं भी छिपे हों। और इस मुश्किल काम के लिए जिस फोर्स पर सबसे ज़्यादा भरोसा किया गया, वो थे हमारे स्पेशल फोर्सेस के जवान। खास तौर पर, पैरा स्पेशल फोर्सेस (Para SF) जो इस तरह के काउंटर-टेररिस्ट ऑपरेशन और माउंटेन वारफेयर में माहिर होते हैं। पलक झपकते ही इन कमांडो की टीमें अनंतनाग और पहलगाम के उस खास इलाके की तरफ रवाना कर दी गईं। ये कोई सामान्य पुलिस कार्रवाई नहीं थी। ये पूरी तरह से एक मिलिट्री ऑपरेशन था। मकसद साफ था: इलाके को घेरना, चप्पे-चप्पे को खंगालना और आतंकियों को मार गिराना।
सोचिए, इन कमांडो की ट्रेनिंग कितनी कठिन होती है। इन्हें हर तरह के हथियार चलाने आते हैं। ये कई दिनों तक बिना रुके मार्च कर सकते हैं। ये रात के अंधेरे में भी देख सकते हैं। ये सिग्नल इंटेलिजेंस से लेकर ह्यूमन इंटेलिजेंस तक का इस्तेमाल करते हैं। इन्हें खास तौर पर मुश्किल इलाकों में छिपकर दुश्मन पर वार करने की ट्रेनिंग दी जाती है। इन्हें सिर्फ ढूंढने नहीं भेजा गया था, बल्कि शिकार करने भेजा गया था। भारत ने ये साफ कर दिया कि अब खेल आतंकियों के नियम से नहीं, बल्कि भारत के नियम से खेला जाएगा। पहाड़ों में उतरने वाले ये कमांडो इस बात का ऐलान थे।
लेकिन दोस्तों, ये ऑपरेशन इतना आसान नहीं है। अनंतनाग और पहलगाम का वो पहाड़ी इलाका एक भूलभुलैया जैसा है। घना देवदार का जंगल, सैकड़ों फीट गहरी खाईयाँ, चट्टानी ढलानें, और अनगिनत गुफाएं और प्राकृतिक ठिकाने। आतंकी इस भूगोल का फायदा उठा रहे हैं। वो जानते हैं कि यहाँ छिपना आसान है। यहाँ तक कि अत्याधुनिक ड्रोन और कैमरे भी हर जगह नहीं पहुँच सकते। ऐसे में कमांडो का काम और भी मुश्किल हो जाता है। उन्हें कदम-कदम फूंक-फूंक कर रखना होता है। एक गलत कदम जानलेवा हो सकता है।
कमांडो की टीमें छोटे-छोटे ग्रुप्स में बँट गई हैं। वो इलाके को घेरकर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं। इसे ‘कॉर्डन एंड सर्च’ ऑपरेशन कहते हैं, लेकिन ये बड़े पैमाने पर हो रहा है। वो हर पेड़, हर चट्टान, हर गुफा को चेक कर रहे हैं। उनके साथ K9 डॉग यूनिट्स भी हैं, जो आतंकियों की गंध पहचान सकते हैं। ड्रोन का इस्तेमाल ऊँचाई से निगरानी के लिए हो रहा है, लेकिन आखिरी काम तो ज़मीन पर हमारे कमांडो को ही करना है। उनकी रणनीति ये है कि आतंकियों को एक जगह घेर लिया जाए और फिर उन्हें मार गिराया जाए। ये ऑपरेशन कई दिनों तक चल सकता है। धीरज और सटीकता इस ऑपरेशन की कुंजी हैं। पहाड़ों में छिपे दुश्मन को ढूंढना एक सुई को पुआल के ढेर में ढूंढने जैसा है, लेकिन हमारे कमांडो इसके लिए ही बने हैं। उनकी तैयारी सिर्फ शारीरिक नहीं है, बल्कि मानसिक भी है। वो जानते हैं कि ये कितना खतरनाक है, लेकिन उनका हौसला आसमान से भी ऊँचा है।
तो दोस्तों, पाकिस्तान की इस ओछी हरकत के बाद भारत को इस तरह एहसान फरामोश मुल्क के खिलाफ कौन सा एक्शन लेना चाहिए था?
कमेंट में बताइए! इस वीडियो को लाइक और शेयर करके हर भारतीय तक पहुँचाइए ताकि भारत की एकता देखकर ही पाकिस्तान के पसीने छूट जाएँ।
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जय हिन्द! वन्दे मातरम!