अगर कभी अमेरिका और भारत के बीच जंग छिड़ जाए, तो क्या होगा? हां दोस्तों, आपने सही सुना! दुनिया का सबसे ताकतवर देश माने जाने वाला अमेरिका और हमारा अपना भारत, जो आज चौथी सबसे बड़ी मिलिट्री सुपरपावर है। ये सुनकर आपके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे होंगे, जैसे कि – क्या अमेरिका की सेना सच में हमसे इतनी आगे है? भारत का साथ कौन देगा? और क्या ये जंग कभी सच में हो सकती है?
अमेरिका को तो आप सब जानते ही हैं – वो देश जो अपनी मिलिट्री ताकत के दम पर दुनिया भर में अपनी बात मनवाता है। चाहे इराक हो, अफगानिस्तान हो, या फिर यूरोप के बड़े-बड़े देश जैसे जर्मनी और जापान, अमेरिका की एक आवाज पर सब लाइन में आ जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत भी अब वो देश नहीं रहा, जो सिर्फ शांति की बातें करता हो और चुपचाप सब सह ले? आजादी के 100 साल से भी कम वक्त में भारत ने वो मुकाम हासिल कर लिया है, जहां वो दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर मिलिट्री पावर बन चुका है। हमारे पास न्यूक्लियर हथियार हैं, बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, और सबसे बड़ी बात – हमारी सेना में वो जज्बा है, जो किसी भी दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर कर सकता है।
अब जरा सोचिए, अगर इन दो बड़े देशों के बीच जंग होती है, तो क्या होगा? क्या अमेरिका अपनी हाई-टेक टेक्नोलॉजी और बड़े डिफेंस बजट के दम पर हमें हरा देगा? या फिर भारत अपनी सैनिकों की संख्या, अपने सहयोगियों, और अपने हौसले के दम पर बाजी मार लेगा? और ये भी तो सोचने वाली बात है कि क्या ये जंग कभी होगी भी, या फिर ये सिर्फ एक काल्पनिक कहानी है, जो हमें कुछ सबक सिखाने के लिए बनाई गई है?
1971 की जंग में कैसे अमेरिका की सबसे खतरनाक नेवी फ्लीट, जिसे ‘सेवेंथ फ्लीट’ कहते हैं, भारत की तरफ बढ़ी थी। सबको लगा था कि अब तो भारत पर बड़ा हमला होने वाला है। लेकिन हमारी सेना और हमारे दोस्तों ने ऐसा जवाब दिया कि वो फ्लीट दुम दबाकर भाग गई।’ उस दिन एहसास हुआ कि भारत की ताकत सिर्फ हथियारों में नहीं, बल्कि उसके लोगों के हौसले में है। और दोस्तों, आज हम उसी ताकत की बात करने वाले हैं।
तो इस वीडियो में हम क्या-क्या कवर करने वाले हैं? सबसे पहले, हम 1971 की उस जंग की बात करेंगे, जब अमेरिका को भारत के सामने पीछे हटना पड़ा था। फिर हम दोनों देशों की मिलिट्री ताकत की तुलना करेंगे – सैनिक, हवाई ताकत, टैंक, नौसेना, सब कुछ। इसके बाद, हम देखेंगे कि अगर जंग होती है, तो कौन से देश भारत का साथ देंगे और कौन से अमेरिका का। फिर हम ये भी जानेंगे कि भारत और अमेरिका के बीच जंग की गुंजाइश क्यों कम है। और आखिर में, भारतीय सेना के उस जज्बे की बात करेंगे, जो उसे दुनिया की सबसे खास सेनाओं में से एक बनाता है।
1971 की वो जंग – जब भारत ने अमेरिका को पीछे हटने पर मजबूर किया
“दोस्तों, कहानी शुरू होती है 1971 से। उस वक्त भारत एक ऐसी लड़ाई में उलझा था, जो सिर्फ उसकी अपनी नहीं थी। हमारे पड़ोसी मुल्क, जो उस समय पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था (और आज बांग्लादेश है), वहां की जनता अपने लिए आजादी मांग रही थी। लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने उनकी आवाज को दबाने के लिए ऐसा जुल्म ढाया कि सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं। मर्दों को मारा गया, औरतों पर अत्याचार हुए, और करीब 1 करोड़ लोग अपना घर-बार छोड़कर भारत में शरण लेने आए।
अब जरा सोचिए, भारत के सामने क्या हालात थे। एक तरफ इन शरणार्थियों को खाना-पानी देना, और दूसरी तरफ पाकिस्तान को सबक सिखाना। हमारी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने फैसला लिया कि भारत बांग्लादेश को आजादी दिलाएगा। लेकिन ये फैसला आसान नहीं था। क्यों? क्योंकि उस वक्त अमेरिका, जो पाकिस्तान का दोस्त था, भारत के खिलाफ खड़ा हो गया।
अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को भारत का ये कदम पसंद नहीं आया। उन्होंने सोचा कि भारत को रोकना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने ब्रिटेन और चीन को साथ लिया। अमेरिका ने अपनी सबसे खतरनाक नेवी फ्लीट, जिसे ‘सेवेंथ फ्लीट’ कहते हैं, बंगाल की खाड़ी की तरफ भेज दिया। ये फ्लीट इतनी ताकतवर थी कि इसके सामने कोई भी देश डर जाता। ब्रिटेन भी अपने जहाज लेकर भारत की तरफ बढ़ा, और ऊपर से चीन को भारत पर हमला करने के लिए उकसाया गया।
लेकिन दोस्तों, इंदिरा गांधी कोई साधारण नेता नहीं थीं। उन्हें पहले से भनक लग चुकी थी कि अमेरिका कुछ न कुछ गड़बड़ कर सकता है। इसलिए उन्होंने अगस्त 1971 में ही सोवियत संघ (USSR), जो आज का रूस है, के साथ एक समझौता कर लिया था। इस समझौते में तय हुआ कि अगर भारत मुसीबत में फंसेगा, तो USSR उसकी मदद करेगा।
और फिर वही हुआ, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। जब अमेरिका की फ्लीट बंगाल की खाड़ी में पहुंची, तो USSR ने अपने सबमरीन और जंगी जहाज भेज दिए। इन जहाजों ने अमेरिकी फ्लीट को ऐसा घेरा कि वो आगे बढ़ ही नहीं सकी। ब्रिटेन के जहाज तो बीच रास्ते से ही मुड़ गए। और चीन? वो तो डर के मारे चुपचाप बैठा रहा। उधर, भारत ने पाकिस्तान पर धुआंधार हमला किया। कुछ ही दिनों में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया गया, और बांग्लादेश आजाद हो गया।
तो दोस्तों, ये थी वो कहानी, जब भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान को हराया, बल्कि अमेरिका को भी अपनी ताकत दिखा दी। इस घटना से एक बात साफ है – अगर भविष्य में अमेरिका भारत से पंगा लेता है, तो रूस हमारा साथ देगा।”
अब बात करते हैं असली मुद्दे की – अगर भारत और अमेरिका आमने-सामने आ जाएं, तो कौन जीतेगा? चलिए, दोनों देशों की मिलिट्री ताकत को आंकड़ों के साथ समझते हैं।
ग्लोबल फायर पावर के 2025 के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका 0.07 पावर इंडेक्स के साथ पहले नंबर पर है, और भारत 0.11 के साथ चौथे नंबर पर। मतलब, अमेरिका की ताकत हमसे थोड़ी ज्यादा है। लेकिन कितनी ज्यादा? चलिए देखते हैं।
सैनिकों की संख्या: भारत के पास 14,75,000 एक्टिव सैनिक हैं, जबकि अमेरिका के पास 13,25,000। इसके अलावा, हमारे पास 16,00,000 पैरा-मिलिट्री फोर्स भी है, जो अमेरिका के पास नहीं है। तो सैनिकों के मामले में हम आगे हैं।
हवाई ताकत: भारत के पास 2,250 एयरक्राफ्ट हैं, जबकि अमेरिका के पास 13,000। ये अंतर बड़ा है, क्योंकि अमेरिका की हवाई ताकत बहुत मजबूत है।
टैंक: भारत के पास 4,200 टैंक हैं, अमेरिका के पास 4,600। यहां अंतर ज्यादा नहीं है।
नौसेना: भारत के पास 293 नेवल एसेट्स हैं, जिनमें 2 एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल हैं। अमेरिका के पास 440 नेवल एसेट्स हैं, जिनमें 11 कैरियर हैं। तो नौसेना में भी अमेरिका आगे है।
न्यूक्लियर हथियार: दोनों देशों के पास न्यूक्लियर हथियार हैं। अमेरिका के पास 5,000 से ज्यादा हैं, भारत के पास 150-200। लेकिन दोनों के पास इतनी ताकत है कि दुनिया को तबाह कर सकते हैं।
तो दोस्तों, आंकड़ों से साफ है कि अमेरिका कुछ मामलों में आगे है – खासकर हवाई और नौसेना में। लेकिन भारत की जमीनी ताकत और सैनिकों की संख्या कम नहीं है।”
और सब से इम्पोर्टेन्ट जंग में हमारे साथी – कौन देगा भारत का साथ?
“अगर जंग होती है, तो कौन हमारे साथ खड़ा होगा? सबसे पहले तो रूस, जो 1971 में भी हमारा दोस्त था। आज भी रूस हमारा बड़ा सहयोगी है। इसके अलावा, फ्रांस, जापान, और ऑस्ट्रेलिया – जो क्वाड ग्रुप का हिस्सा हैं – भी हमारा साथ दे सकते हैं। फ्रांस हमें राफेल जेट दे रहा है, और जापान-ऑस्ट्रेलिया हमारे रणनीतिक दोस्त हैं।
वहीं, अमेरिका के साथ NATO देश – जो आज के टाइम टूटने के कगार पर है – जैसे ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा – होंगे। लेकिन चीन शायद चुप रहेगा, क्योंकि उसके अपने अमेरिका से पंगे हैं। तो भारत के पास मजबूत दोस्तों की कमी नहीं है।”
अब बात करते है भारत और अमेरिका की जंग क्यों नहीं होगी?
“अब सवाल ये है कि क्या ये जंग सच में होगी? शायद नहीं। क्यों? क्योंकि भारत और अमेरिका एक-दूसरे के लिए जरूरी हैं। भारत अमेरिका के लिए बड़ा बाजार है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के सीईओ भारतीय हैं। अगर अमेरिका हमसे पंगा लेगा, तो उसे खुद नुकसान होगा। साथ ही, दोनों देश चीन के खिलाफ साथ काम कर रहे हैं। तो जंग की गुंजाइश कम है।”
“आखिर में, भारतीय सेना की वो ताकत, जो उसे सबसे अलग बनाती है – उसका जज्बा। कारगिल की जंग हो या 1971 की लड़ाई, हमारे सैनिकों ने हमेशा देश के लिए जान दी है। ये वो ताकत है, जो हथियारों से नहीं, दिल से आती है।”
“तो दोस्तों, आज हमने जाना कि भारत और अमेरिका की जंग एक काल्पनिक सवाल है, लेकिन इसमें भारत की ताकत कम नहीं है। 1971 में हमने अमेरिका को पीछे हटाया, हमारी मिलिट्री मजबूत है, हमारे दोस्त भरोसेमंद हैं, और हमारा जज्बा लाजवाब है। लेकिन सबसे बड़ी बात – ये जंग शायद कभी न हो, क्योंकि हम एक-दूसरे के लिए जरूरी हैं। आपको ये वीडियो कैसा लगा? नीचे कमेंट में ‘जय हिंद’ जरूर लिखें। लाइक करें, शेयर करें, और चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें। बेल आइकन दबाइए, ताकि अगला वीडियो आपको तुरंत मिले। जय हिंद, वंदे मातरम!”