भारत का ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान में खलबली! | बीएसएफ जवान की वापसी

झंडे में चाँद दिखना और चाँद पर झंडा फहराने में, औकात औकात का फर्क होता है!” दोस्तों, आज हम एक ऐसे मुद्दे पर बात करेंगे जिसने पूरे देश को एक बार फिर गर्व से भर दिया। एक ऐसी कहानी जो दर्शाती है कि नया भारत अपनी सीमाओं और अपने जवानों की रक्षा के लिए किस हद तक जा सकता है।

याद कीजिए, वह दौर जब सीमा पर अक्सर तनाव रहता था, हमारे जवानों पर कायराना हमले होते थे और पड़ोसी मुल्क अपनी हरकतों से बाज नहीं आता था। लेकिन, अब तस्वीर बदल रही है। क्यों? क्योंकि भारत ने अपनी रणनीति बदली है, अपनी ताकत का एहसास कराया है और दुनिया को यह दिखा दिया है कि अब वह किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

कुछ समय पहले, हमारे BSF जवान पूरणम कुमार गलती से सीमा पार चले गए थे। इस खबर ने पूरे देश को चिंतित कर दिया था। हर कोई उनकी सुरक्षा और सकुशल वापसी की प्रार्थना कर रहा था। और फिर, आखिरकार वह दिन आया जब हमें यह खुशखबरी मिली कि पूरणम कुमार वापस लौट आए हैं। लेकिन, उनकी यह वापसी सिर्फ एक जवान का अपने घर लौटना भर नहीं है। इसके पीछे एक बड़ी कहानी है, एक ऐसी कहानी जो पाकिस्तान के बदलते रवैये और भारत के बढ़ते दबदबे को दर्शाती है।

क्या आपको याद है, पहले जब हमारे जवान गलती से सीमा पार चले जाते थे तो उन्हें वापस लाने में कितना समय लग जाता था? कितनी कूटनीतिक बातचीतें होती थीं, कितने दबाव बनाने पड़ते थे। लेकिन इस बार क्या हुआ? पाकिस्तान ने अपेक्षाकृत जल्द ही हमारे जवान को लौटा दिया। यह बदलाव क्यों आया? इसी सवाल का जवाब हम आज के इस वीडियो में जानेगे ।

दोस्तों, पूरणम कुमार की वापसी को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा और उस घटनाक्रम पर ध्यान देना होगा जिसने पाकिस्तान के रवैये में यह बदलाव लाया। मैं बात कर रहा हूँ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की। अब आप सोच रहे होंगे कि यह क्या है? दरअसल, यह कोई आधिकारिक नाम नहीं है, लेकिन यह उस कड़ी कार्रवाई को दर्शाता है जो भारत ने हाल के वर्षों में सीमा पार आतंकवाद और पड़ोसी मुल्क की नापाक हरकतों के जवाब में की है।

क्या आपको याद है 2016 में हुआ सर्जिकल स्ट्राइक? जब हमारे बहादुर जवानों ने सीमा पार जाकर आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। वह एक ऐसा पल था जिसने पूरी दुनिया को भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया। फिर, 2019 में पुलवामा हमले के बाद हमने देखा कि भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में आतंकियों के कैंपों को कैसे राख के ढेर में बदल दिया। ये कार्रवाइयाँ सिर्फ सामरिक लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं थीं, बल्कि इन्होंने पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश दिया कि अब भारत किसी भी आतंकी हमले या सीमा उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगा।

सोचिए, बरसों से जो पड़ोसी चोरी-छिपे आपके घर में घुसकर नुकसान पहुँचा रहा था, एक दिन आप उसके घर में घुसकर उसे सबक सिखा दें। सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक कुछ ऐसा ही था। यह पाकिस्तान के लिए एक बहुत बड़ा झटका था, क्योंकि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि भारत इस तरह से जवाबी कार्रवाई कर सकता है।

अब बात करते हैं सिंधु जल समझौते की। कई बार यह मांग उठती रही है कि भारत को इस समझौते पर पुनर्विचार करना चाहिए, खासकर जब पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहता है। लेकिन, भारत ने इस मुद्दे पर एक अलग रणनीति अपनाई। हमने समझौते को रद्द नहीं किया, लेकिन हमने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है तो पानी के मुद्दे पर भी कड़े फैसले लिए जा सकते हैं। यह एक तरह का मौन दबाव था, जो पाकिस्तान को अंदर ही अंदर बेचैन कर रहा था।

यह वैसा ही है जैसे आप किसी ऐसे व्यक्ति को लगातार चेतावनी देते रहें जो आपकी बात नहीं सुन रहा है, और उसे यह एहसास दिलाते रहें कि अगर वह नहीं सुधरा तो उसके साथ क्या हो सकता है। भारत ने सिंधु जल समझौते के मुद्दे पर यही किया।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत ने पाकिस्तान को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद के सबूत रखे। FATF (Financial Action Task Force) जैसे मंचों पर हमने लगातार दबाव बनाया कि पाकिस्तान आतंकियों को फंडिंग और पनाह देना बंद करे। इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रहना पड़ा, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा।

सोचिए, आप किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएं जो लगातार गलत काम कर रहा है, और धीरे-धीरे पूरी दुनिया उस व्यक्ति से किनारा कर ले। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत ने पाकिस्तान के साथ यही किया।

अब वापस आते हैं पूरणम कुमार की वापसी पर। पाकिस्तान ने उन्हें अपेक्षाकृत जल्द ही लौटा दिया। क्या यह उनकी सद्भावना थी? शायद नहीं। जानकारों का मानना है कि यह भारत के लगातार बढ़ते दबाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे कदमों का ही नतीजा था कि पाकिस्तान को यह एहसास हो गया कि अब किसी भी तरह की आनाकानी करना उनके लिए और भी महंगा साबित हो सकता है।

यह वैसा ही है जैसे एक शरारती बच्चा, जो पहले किसी की नहीं सुनता था, जब उसे लगातार डांटा जाता है और सज़ा का डर दिखाया जाता है, तो वह अचानक से सुधर जाता है। पाकिस्तान के रवैये में आया यह बदलाव कुछ ऐसा ही है। उन्हें भारत के गुस्से और कार्रवाई का डर सता रहा है।

पहले भारत शांति की बात करता था, संयम बरतता था। लेकिन, अब हमने यह दिखा दिया है कि शांति की बात तभी सुनी जाएगी जब हमारे पास अपनी रक्षा करने की पूरी ताकत हो। और हमारी यह ताकत ही पाकिस्तान को झुकने पर मजबूर कर रही है।

पूरणम कुमार की वापसी हमें 2019 में विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की वापसी की भी याद दिलाती है। जब भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक की थी, तो अभिनंदन का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और वे पाकिस्तान की सीमा में पहुँच गए थे। उस समय भी पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बहुत था और भारत ने भी कड़ा रुख अपनाया था, जिसके चलते पाकिस्तान को उन्हें जल्द ही वापस भेजना पड़ा था। यह घटना भी दर्शाती है कि भारत अब किसी भी कीमत पर अपने जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

अभिनंदन की वापसी एक और उदाहरण है कि कैसे भारत ने अपनी ताकत और कूटनीति का इस्तेमाल करके पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया।

दोस्तों, पूरणम कुमार की वापसी और पाकिस्तान का बदला हुआ रवैया नए भारत की एक नई नीति को दर्शाता है – आँख में आँख मिलाकर बात करना। अब हम किसी भी प्रकार के उकसावे को हल्के में नहीं लेते और उसका मुंहतोड़ जवाब देते हैं।

हमारी सरकार ने आतंकवाद के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। चाहे वह सीमा पार से हो या देश के अंदर, आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। और पाकिस्तान को यह अच्छी तरह पता है कि अगर उन्होंने आतंकवादियों को पनाह देना और उन्हें बढ़ावा देना बंद नहीं किया तो भारत फिर से सख्त कदम उठा सकता है।

यह वैसा ही है जैसे आप अपने घर में किसी चोर को घुसने नहीं देते और अगर वह घुसने की कोशिश करता है तो आप उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर देते हैं। भारत ने आतंकवाद के साथ यही रवैया अपनाया है।

भारत लगातार अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत कर रहा है। नए हथियार, आधुनिक तकनीक और हमारे बहादुर जवानों का हौसला – यह सब मिलकर भारत को एक मजबूत ताकत बनाते हैं। और पाकिस्तान इस ताकत को महसूस कर रहा है। उन्हें पता है कि अगर उन्होंने कोई गलती की तो उन्हें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

यह वैसा ही है जैसे एक पहलवान अपनी ताकत बढ़ाता रहे और उसका कमजोर पड़ोसी उससे लड़ने की हिम्मत न कर पाए। भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति पाकिस्तान के लिए एक बड़ा डर है।

अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की कूटनीतिक सफलताएं भी लगातार बढ़ रही हैं। दुनिया के बड़े-बड़े देश आज भारत के साथ खड़े हैं और पाकिस्तान पर आतंकवाद के मुद्दे पर दबाव बना रहे हैं। यह भी एक बड़ा कारण है कि पाकिस्तान अब पहले की तरह अपनी मनमानी नहीं कर पा रहा है।

सोचिए, आपके झगड़े में आपके सारे दोस्त आपका साथ दें और आपके दुश्मन को अकेला छोड़ दें। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है।

सबसे बड़ी बात यह है कि आज देश की जनता अपनी सरकार और अपनी सेना के साथ मजबूती से खड़ी है। हर कोई चाहता है कि आतंकवाद और सीमा पर होने वाली हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। जनता का यह मजबूत समर्थन भी सरकार और सेना को कड़े फैसले लेने की ताकत देता है।

यह वैसा ही है जैसे एक परिवार के सभी सदस्य मिलकर अपने घर की रक्षा करें। जब पूरा देश एक साथ खड़ा होता है तो किसी भी दुश्मन के लिए चुनौती देना आसान नहीं होता।

आज भारत का मुख्य ध्यान विकास पर है। हम एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनना चाहते हैं और अपने नागरिकों के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं। लेकिन, हम यह भी जानते हैं कि विकास तभी संभव है जब हमारी सीमाएं सुरक्षित हों और देश में शांति बनी रहे। इसलिए, हम अपनी सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकते।

यह वैसा ही है जैसे आप अपने घर को सुंदर बनाना चाहते हैं, लेकिन उससे पहले आप यह सुनिश्चित करते हैं कि आपके घर की दीवारें मजबूत हों और कोई चोर अंदर न आ सके। भारत पहले अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है ताकि वह विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सके।

दोस्तों, पूरणम कुमार की सकुशल वापसी सिर्फ एक अच्छी खबर नहीं है, बल्कि यह नए भारत की ताकत, उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति और उसकी बदली हुई नीति का प्रतीक है। यह उस डर का नतीजा है जो पाकिस्तान अब भारत से महसूस कर रहा है। और यह डर हमारे लिए अच्छा है, क्योंकि इसी डर से शांति की राह खुल सकती है।

क्या आपके मन में भी कोई सवाल या विचार हैं? हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया हो तो इसे लाइक करें, ज्यादा से ज्यादा शेयर करें

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