ऑपरेशन सिन्दूर: पाकिस्तान पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक | कश्मीर में तहलका

नमस्ते दोस्तों! क्या आपको याद है वो दिन जब ऑपरेशन सिंधु की गूंज सुनाई दी थी? फिर आया ऑपरेशन किलर, और अब चारों तरफ एक ही चर्चा है – ऑपरेशन अज्ञात! पाकिस्तान की गलियों में, उनके ही घर में, अब आतंकवादियों की लाशें बिछ रही हैं, उनकी झूठी जीत के नारे कब्रिस्तानों के सन्नाटे में दफन हो रहे हैं।

सोचिए, जो पाकिस्तान कभी कश्मीर फतह करने के ख्वाब देखता था, जो अपने आतंकियों को मोटरसाइकिल पर घूमने के सर्टिफिकेट बांटता था, आज उसी की सरजमीं पर उसके खूंखार आतंकवादी अपनी आखिरी सांसें गिन रहे हैं। ये कोई आम बात नहीं है। ये उस भारत का बदलता हुआ रूप है जो कहता है कि अब हमने बहुत सह लिया। अब हमारी बारी है। सालों से जो काम दुनिया की अदालतें नहीं कर पाईं, वो अब कोई ‘अज्ञात बंदूकधारी’ कर रहा है। और ये सिर्फ किसी एक आतंकवादी की मौत का किस्सा नहीं है, ये एक ऐसी कहानी की शुरुआत है जो आतंकवाद की कमर तोड़ने वाली है। क्या युद्ध खत्म हो गया? या ये बस एक नए अध्याय की शुरुआत है?

इस वीडियो में हम इसी बड़े राज से पर्दा उठाएंगे, जानेंगे कौन है ये ‘अज्ञात’ जो पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दे रहा है, और कैसे सैफुल्लाह खालिद जैसे बड़े आतंकियों का अंत भारत के नए ‘संकल्प’ का सबूत है।

दोस्तों, कहानी की शुरुआत होती है पाकिस्तान की उन गलियों से, उन खुफिया ठिकानों से, जिन्हें आईएसआई और पाकिस्तानी सेना ने आतंकवादियों का पनाहगार बना रखा था। यहां बैठकर, ये आतंकी भारत के खिलाफ साजिशें रचते थे, हमारे निर्दोष लोगों की जान लेने के मंसूबे पालते थे। लेकिन अब इन गलियों में सन्नाटा है। सन्नाटा इसलिए नहीं कि आतंकी अपनी बिलों में छिप गए हैं, बल्कि इसलिए कि उनकी लाशें बिछी हैं!

उनकी झूठी जीत के नारे अब कब्रिस्तान के सन्नाटे में दफन हो रहे हैं ये कोई एक या दो घटना नहीं है। पिछले कुछ समय से, पाकिस्तान में कई जाने-माने आतंकवादी, जो भारत को नासूर दे रहे थे, रहस्यमय तरीके से मारे जा रहे हैं। और इन मौतों के पीछे किसका हाथ है? यही वो सवाल है जिसने पाकिस्तान और पूरी दुनिया को हिला रखा है।

वो इन घटनाओं का सबसे चौंकाने वाला पहलू है। ये हत्याएं दिनदहाड़े हो रही हैं, अक्सर सरेआम, और पाकिस्तानी एजेंसियां चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही हैं। सोचिए, जिस आईएसआई को दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसियों में से एक माना जाता है, वो अपने पाले हुए इन साँपों को बचा नहीं पा रही है। ये ‘अज्ञात’ कौन है? क्या ये कोई व्यक्ति है? कोई संगठन है? या ये भारत का वो नया ‘संकल्प’ है जिसके बारे में प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कई बार इशारा कर चुके हैं?

इस ‘अज्ञात’ के ऑपरेशन का सबसे बड़ा शिकार बना है सैफुल्लाह खालिद। ये सिर्फ एक आम आतंकी नहीं था। ये लश्कर-ए-तैयबा का वो रीढ़ था जिसे भारत ने तोड़ दिया है । लश्कर, जिसका सरगना हाफिज सईद है, जो आज भी पाकिस्तान में खुला घूमता है। सैफुल्लाह खालिद, हाफिज सईद का करीबी था, उसका दायां हाथ। सोचिए, हाफिज सईद जैसे बड़े आतंकी के इतने करीब होने के बावजूद, आईएसआई की पूरी सुरक्षा में होने के बावजूद, सैफुल्लाह खालिद को उसके घर से निकाला गया और कुत्ते की मौत मारा गया, तड़पते हुए। यही वो तड़प है जो भारत अब हर आतंकी को देना चाहता है ।

सैफुल्लाह खालिद की मौत सिर्फ एक आतंकी का अंत नहीं है, ये एक मैसेज है – कि तुम कहीं भी छिप जाओ, पाकिस्तान में हो या नेपाल में, भारत तुम्हें पाताल से भी ढूंढ निकालेगा।

ये ऑपरेशन ‘अज्ञात’ पाकिस्तान के लिए एक भयानक दुःस्वप्न बन गया है। वे नहीं जानते कि अगला नंबर किसका है। उनके अपने ही पाले हुए आतंकी, जिन पर वो भारत के खिलाफ हमले कराने के लिए भरोसा करते थे, अब उन्हीं की जमीन पर ढेर हो रहे हैं। पाकिस्तान जो हमेशा खुद को आतंकवाद का शिकार बताता था, आज उसे उसी आतंकवाद की कीमत चुकानी पड़ रही है जिसे उसने पाला-पोसा था।

ये अज्ञात बंदूकधारी कौन हैं, ये अभी भी एक रहस्य है। लेकिन ये रहस्य ही उनका सबसे बड़ा हथियार है। ये खौफ पैदा करता है। और सबसे बड़ी बात, ये पाकिस्तान की उस पूरी व्यवस्था को चुनौती दे रहा है जो आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का औजार मानती है।

इस पूरे खेल को देखकर ऐसा लगता है जैसे भारत ने एक नई रणनीति अपनाई है। पहले हम हमलों के बाद प्रतिक्रिया देते थे, बदला लेते थे। उरी हुआ, पुलवामा हुआ… हमने सर्जिकल स्ट्राइक की, एयर स्ट्राइक की। लेकिन अब, ऐसा लग रहा है कि भारत पहले से ही सक्रिय हो गया है। अब इंतज़ार नहीं हो रहा कि आतंकी हमला करें, बल्कि आतंकियों को वहीं खत्म किया जा रहा है जहां से वो निकलते हैं। ये “घर में घुस के मारेंगे” की नीति का एक नया, ज्यादा सूक्ष्म और शायद ज्यादा प्रभावी रूप है।

पाकिस्तान इसे मानने को तैयार नहीं है। वो दुनिया को बता रहा है कि ये आपसी गैंगवार है या किसी और का काम। लेकिन उनके चेहरे का डर सब कुछ बता रहा है। वे जानते हैं कि ये कोई आम गैंगवार नहीं है। ये किसी ऐसी ताकत का काम है जिससे वो सीधे तौर पर भिड़ना नहीं चाहते। ये भारत का वो ‘संकल्प’ है जो बिना शोर मचाए, बिना किसी घोषणा के काम कर रहा है।

सैफुल्ला खालिद का अंत इतना महत्वपूर्ण क्यों है? क्योंकि ये आदमी कोई छोटा-मोटा मोहरा नहीं था। ये लश्कर-ए-तैयबा का वो सांप था जिसने हिंदुस्तान की जमीन पर कई बार जहर फैलाया। सैफुल्लाह खालिद के कई चेहरे थे। कोई इसे रजाउल्लाह निजामी कहता था, कोई विनोद कुमार के तौर पर जानता था, इसका नाम मोहम्मद सलीम भी था। लेकिन इसका असली काम था भारत में आतंक फैलाना। ये लश्कर के लिए आतंकियों की भर्ती करता था, उन्हें ट्रेनिंग देता था, हथियारों की तस्करी कराता था । नेपाल को इसने आतंक का गढ़ बना लिया था । नेपाल की शांत वादियों में बैठकर ये शैतान हिंदुस्तान के खिलाफ जहर उगलता था ।

भारत पर इस आतंकवादी ने तीन बड़े हमले किए थे, याद कीजिए साल 2005 का बेंगलुरु हमला। आईआईएससी, यानी भारतीय विज्ञान संस्थान पर हमला । ये भारत के दिमाग पर हमला था, हमारी वैज्ञानिक प्रगति को कुचलने की साजिश थी । इस हमले में प्रोफेसर मुनीश चंद्र पुरी की जान गई थी और चार लोग घायल हुए थे । ये हमला सैफुल्लाह खालिद की ही साजिश थी।

साल 2006 में नागपुर आरएसएस मुख्यालय पर हमला । आरएसएस पर हमला करके सांप्रदायिक आग भड़काने की नापाक कोशिश । शुक्र है कि सुरक्षाबलों की सतर्कता से बड़ा नुकसान टल गया था । लेकिन इस हमले की साजिश भी इसी सैफुल्लाह खालिद ने रची थी ।

साल 2008 का रामपुर सीआरपीएफ कैंप हमला । इस हमले में हमारे सात जवान शहीद हुए थे और एक नागरिक की भी जान गई थी । ये हमला भी भारत के सुरक्षा बलों को कमजोर करने की नापाक कोशिश थी । और इसके पीछे भी यही सैफुल्लाह खालिद था।

ये वो आदमी था जिसने सालों तक भारत को चोट पहुंचाई। आईएसआई के इशारों पर काम करता था, पाकिस्तान सरकार ने इसे पूरी सुरक्षा दे रखी थी । ये सोचता था कि पाकिस्तान उसकी ढाल है, कि वो कभी पकड़ा नहीं जाएगा, कभी मारा नहीं जाएगा। खासकर जब वो नेपाल में अपना गढ़ बनाकर बैठ गया था। लेकिन भारत ने दिखा दिया कि उसकी पहुंच कितनी दूर तक है। ये वही भारत है जो पुलवामा के बाद बदला लेने बालाकोट पहुंचा था। ये वही भारत है जो उरी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक करने पाकिस्तान में घुसा था। और अब, ये भारत का वो नया रूप है जो बिना बताए, बिना धमकी दिए, सीधे हिसाब कर रहा है।

सैफुल्लाह खालिद की मौत उस हिसाब का एक हिस्सा है। ये मौत उन सभी आतंकियों के लिए एक चेतावनी है जो सोचते हैं कि पाकिस्तान उन्हें बचा लेगा। ये मौत पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी है जो सोचता है कि वो भारत को चोट पहुंचाता रहेगा और बच निकलेगा। वो एक शक्तिशाली संदेश है। ये संदेश है कि तुम्हारा अंत दर्दनाक होगा, अपमानजनक होगा। तुम्हें कोई बचा नहीं पाएगा, तुम्हारी सरकार भी नहीं ।

सैफुल्ला खालिद अकेला नहीं है जिसे ‘अज्ञात’ ने ‘थैंक यू’ कहा है। ये सब वो आतंकी थे जो भारत के लिए खतरा थे ।

पहला नाम, अबू कत्ताल जियाउर रहमान। लश्कर का आतंकी जो जम्मू-कश्मीर में कई हमलों में शामिल था । मई 2025 में पाकिस्तान के पंजाब में कुछ अज्ञात लोग आए और “थैंक यू” करके चले गए ।

दूसरा नाम, शाहिद लतीफ। जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर था, वही जैश जिसने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था । अक्टूबर 2023 में सियालकोट की एक मस्जिद में कुछ अज्ञात लोग आए और मस्जिद में ही इनको वहां से वहां भेज दिया । यानी, सीधे जहन्नुम।

तीसरा, अदनान अहमद। ये भी हाफिज सईद का करीबी था, लश्कर का सीनियर कमांडर । इसे भी पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों ने “थैंक यू” कर दिया ।

चौथा, खालिद उर्फ अबू आकाशा। लश्कर का एक और कुख्यात आतंकी । पुंछ और राजौरी में आतंकी गतिविधियों में शामिल था । इसे तो ऑपरेशन सिंधुर में ही “थैंक यू” किया गया था।

मसूद अजहर के करीबी जो थे, बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय पर जब भारत के ड्रोन मिसाइल गिरे थे, तो कई सारे “थैंक यू” हो गए थे।

ये सिर्फ कुछ नाम हैं। बीते कुछ सालों में ऐसे 15-16 आतंकी हैं जो “थैंक यू” हुए हैं और अच्छी बात ये है कि इनमें कई सारे ऐसे हैं जो अज्ञात शक्ति के हाथों “थैंक यू” हुए हैं ये ‘अज्ञात शक्ति’ कई दिनों के बाद एक्टिव हुई है । अब ये ‘अज्ञात शक्ति’ जो भी है, भारत की तरफ से एक ही मैसेज है – थैंक यू!

ये मौते पाकिस्तान के लिए सिर्फ एक नुकसान नहीं हैं, ये उनकी पूरी आतंकवाद की इमारत की नींव हिला रही हैं। सोचिए, उनके सबसे भरोसेमंद प्यादे मारे जा रहे हैं, और वो कुछ नहीं कर पा रहे। ये उनकी इज्जत पर, उनकी ताकत पर सीधा हमला है। और सबसे बड़ी बात, ये आतंकियों का मनोबल तोड़ रहा है। वो डर रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि अगला निशाना कौन होगा, या कब होगा। क्या पता, जब वो अगली बार अपने ठिकाने से बाहर निकलें, तो कोई अज्ञात बंदूकधारी उनका इंतज़ार कर रहा हो। ये खौफ ही भारत का नया हथियार है।

ये सब कब शुरू हुआ? पहलगाम हमले और 28 लोगों की मौत के बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि आतंक के खिलाफ युद्ध खत्म नहीं होगा । प्रधानमंत्री ने कहा था कि हिसाब तगड़ा होगा इस बार और वो हिसाब हो रहा है। 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंधुर , 9 आतंकी ठिकानों पर हमला, 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए । फिर कश्मीर में ऑपरेशन किलर, जबरदस्त ऑपरेशन चला । दक्षिण कश्मीर के शोपियां में आतंकियों को खत्म किया जा रहा था । 13 मई को शोपियां में मुठभेड़ हुई, आतंकियों को मारा गया । ये सब उसी बड़े संकल्प का हिस्सा है।

भारत का संकल्प स्पष्ट है – आतंक के खिलाफ युद्ध जारी रहेगा । चाहे कोई आतंकी पाकिस्तान में छिपा हो, नेपाल में हो, या कश्मीर में घुसपैठ करने की कोशिश करे, अब उसको ठोका जाएगा । आईएसआई बचाना चाहे, जितनी कोशिश करना चाहे, कर ले, लेकिन अब भारत का हाथ लंबा है। कुछ को घर में घुस के मारेंगे, कुछ को अपने घर में मारेंगे, और कुछ को ये ‘अज्ञात’ मारेगा ।

ये सब क्या दर्शाता है? ये दिखाता है कि भारत ने आतंकवाद से निपटने का अपना तरीका बदल दिया है। अब हम सिर्फ रक्षात्मक नहीं हैं, हम आक्रामक हैं। हम अब सिर्फ अपने घर की रक्षा नहीं कर रहे, हम उस दुश्मन को भी ढूंढ रहे हैं जिसने हमारे घर पर हमला किया है, और उसे वहीं खत्म कर रहे हैं जहां वो सुरक्षित महसूस करता है। ये एक संदेश है पाकिस्तान को भी – कि तुम्हारी धरती पर पाले जा रहे आतंकी तुम्हें ही ले डूबेंगे। तुम उन्हें सुरक्षा दोगे तो खुद असुरक्षित हो जाओगे।

इस समय, जब ये सब चल रहा है, देश को एकजुट रहने की बहुत जरूरत है । पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा बहुत मजबूत है । वो चाहेगा कि भारत में फूट पड़े, कि हम अपने सैनिकों और अपनी सरकार पर शक करें। लेकिन ये समय एकजुटता का है। सैनिकों का हौसला बढ़ाने का है । हम साथ रहेंगे तो ये टुच्चे-पुँजये (छोटे-मोटे आतंकी) अपने आप खत्म हो जाएंगे । इनकी वैसे भी क्या हैसियत है सोचिए, मोटरसाइकिल चलाने के लिए शाहिद अफरीदी को अवार्ड दे दिया इन्होंने । ये इनका असली लॉजिक है ।

भारत शांति चाहता है । हमेशा से चाहता रहा है। लेकिन अगर कोई हमारी धरती पर आंख उठाएगा, तो उस शांति के लिए हम युद्ध लड़ने को भी तैयार हैं । और ये युद्ध आतंकवाद के खिलाफ है । तब तक लड़ा जाएगा जब तक आखिरी आतंकवादी का खात्मा नहीं हो जाता ।

अब आप गिनते रहिए। हम आपको भी सुनाते रहेंगे। सैफुल्लाह जैसे कितने आतंकवादियों की चीखें आएंगी । वो हम आपको गिनाते रहेंगे । भारत के शौर्य पर आप भी गर्व कीजिए ।

दोस्तों, सैफुल्लाह खालिद की मौत सिर्फ एक आतंकवादी का अंत नहीं है। ये भारत के उस नए संकल्प का सबूत है जो कहता है कि हमने बहुत सह लिया, अब हमारी बारी है। आतंकवाद के खिलाफ ये युद्ध जारी रहेगा, जब तक हर आतंकी को उसके अंजाम तक नहीं पहुंचा दिया जाता।

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