Home World News सिंध की वापसी? राजनाथ सिंह के बयान से बदलेगा भारत का नक्शा?

सिंध की वापसी? राजनाथ सिंह के बयान से बदलेगा भारत का नक्शा?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भविष्य में सिंध भारत का हिस्सा बन सकता है। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के कथन का हवाला दिया कि सीमाएं बदलती हैं। सिंह ने कहा कि सिंध, जो सिंधी समाज की मातृभूमि है, हमेशा से भारतीय सभ्यता का हिस्सा रहा है। उन्होंने सिंध की महत्ता बताते हुए कहा कि कई मुसलमान भी सिंधु नदी के पानी को पवित्र मानते हैं। सिंह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को पड़ोसी देशों में हिंसा झेल रहे अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि सीएए का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई प्रवासियों को नागरिकता देना है जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सिंधी समुदाय के योगदान की सराहना की।

Highlights

ज़रूर, यहाँ लेख के मुख्य अंश हिंदी में हैं:

* रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भविष्य में सिंध भारत का हिस्सा बन सकता है, जैसा कि लालकृष्ण आडवाणी ने भी कहा था।
* सिंध भारतीय सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है, भले ही भौगोलिक रूप से अभी भारत में नहीं है।
* सीएए पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यक हिंदू शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा के लिए ज़रूरी था।

ज़रूर, यहां आपकी आवश्यकताओं के अनुसार सामग्री का एक रूपांतरण है:

सिंध: अतीत, वर्तमान और भविष्य – एक आशा की किरण

एक भूली हुई मातृभूमि की याद

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक भावुक और ऐतिहासिक बयान दिया है, जिसने हर भारतीय के दिल में एक नई उमंग भर दी है। उन्होंने कहा कि भविष्य में सिंध प्रांत, जो विभाजन के दौरान पाकिस्तान का हिस्सा बन गया था, फिर से भारत में शामिल हो सकता है। यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि एक सभ्यतागत जुड़ाव और एक अटूट विश्वास की अभिव्यक्ति है।

  • "कौन जानता है, कल सिंध दोबारा भारत का हिस्सा बन जाए?" – यह शब्द पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के हैं, जिन्होंने सिंध के प्रति अपनी गहरी भावनाएं व्यक्त की थीं।

सिंध: सभ्यता का पालना

सिंध, जिसे सिंधी समुदाय अपनी मातृभूमि मानता है, भारतीय सभ्यता के मूल केंद्र, सिंधु घाटी सभ्यता का अभिन्न हिस्सा रहा है। यह वह भूमि है जहाँ से हमारी संस्कृति, परंपराएँ और ज्ञान की धाराएँ पूरे विश्व में फैलीं।

  • "आज भले ही सिंध भारत की भौगोलिक सीमा में शामिल नहीं है, लेकिन सभ्यतागत दृष्टि से यह हमेशा भारत का अंग रहा है।" – राजनाथ सिंह का यह कथन सिंध के साथ हमारे अटूट संबंध को दर्शाता है।

सिंध की पवित्रता

सिंध न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सिंध के कई मुसलमान भी सिंधु नदी के पानी को मक्का के आब-ए-जमजम से कम पवित्र नहीं मानते हैं। यह इस भूमि की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का प्रतीक है।

आडवाणी जी का स्मरण

राजनाथ सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी जी का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी पीढ़ी के सिंधी हिंदू अभी तक सिंध के भारत से अलग हो जाने को पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पाए हैं। यह सिंध के प्रति उनकी अटूट भावना और अपने वतन से बिछड़ने के दर्द को दर्शाता है।

  • आडवाणी जी ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि उनकी पीढ़ी के सिंधी हिंदू अभी तक सिंध के भारत से अलग हो जाने को पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पाए हैं।

सिंधी: हमारे अपने

सिंधी समुदाय ने हमेशा अपनी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखा है, चाहे वे दुनिया में कहीं भी रहें। वे भारत का अभिन्न अंग हैं और हमेशा रहेंगे।

  • "हमारे सिंधी भाइयों ने सिंधु को पवित्र बनाए रखा है। वे चाहे दुनिया में कहीं भी रहें, वे हमारे अपने हैं और हमेशा हमारे ही रहेंगे।"

सीएए: उम्मीद की किरण

पड़ोसी देशों में हिंसा का सामना कर रहे अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कानून उन लाखों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों के लिए आशा की किरण लेकर आया है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए हैं।

  • 2020 से लागू सीएए का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय के प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है, जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में आए हों।

एक साथ आइये!

सिंध सिर्फ एक भूमि का नाम नहीं है, यह एक भावना है, एक संस्कृति है, एक इतिहास है। आइये, हम सब मिलकर सिंध को फिर से भारत का हिस्सा बनाने के सपने को साकार करने की दिशा में काम करें। अपनी संस्कृति और विरासत को संरक्षित करें। आइए, एक ऐसे भविष्य का निर्माण करें जहाँ हर कोई शांति और समृद्धि से रहे।

क्या आप इस सपने को साकार करने में मदद करने के लिए तैयार हैं?

FAQ

ज़रूर, यहां दिए गए लेख पर आधारित 8 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) हिंदी में हैं:

1. राजनाथ सिंह ने सिंध के बारे में क्या कहा?
राजनाथ सिंह ने कहा कि भविष्य में सिंध भारत में शामिल हो सकता है। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के उस कथन का हवाला दिया कि "सीमाएं स्थायी नहीं होतीं, वे बदल भी सकती हैं। कौन जानता है, कल सिंध दोबारा भारत का हिस्सा बन जाए।"

2. सिंध को भारतीय सभ्यता का अभिन्न अंग क्यों माना जाता है?
सिंध को भारतीय सभ्यता का अभिन्न अंग इसलिए माना जाता है क्योंकि यह सिंधु घाटी सभ्यता का मूल केंद्र रहा है और सिंधी समाज की मातृभूमि माना जाता है।

3. लालकृष्ण आडवाणी ने सिंध के बारे में क्या लिखा है?
लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि उनकी पीढ़ी के सिंधी हिंदू अभी तक सिंध के भारत से अलग हो जाने को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाए हैं।

4. सिंध के मुसलमानों के बारे में राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
राजनाथ सिंह ने कहा कि सिंध के अनेक मुसलमान भी मानते हैं कि सिंधु नदी का पानी मक्का के आब-ए-जमजम से कम पवित्र नहीं है।

5. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सिंधी समुदाय के बारे में क्या कहा?
ओम बिड़ला ने सिंधी समुदाय की सेवा-भावना और योगदान की सराहना करते हुए कहा कि समुदाय ने भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

6. सीएए (CAA) क्या है?
सीएए (CAA) नागरिकता संशोधन अधिनियम है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय के प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है।

7. सीएए से किसे फायदा होगा?
सीएए से उन अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को फायदा होगा जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंसा का सामना कर रहे हैं और 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में आए हैं।

8. सीएए कब से लागू है?
सीएए 2020 से लागू है।

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